December 21, 2024

कोविड काल में भारत की सकारात्मक कूटनीति

मोदी सरकार की कूटनीति ने भारत की "सॉफ्ट पावर" को एक “आधुनिक कूटनीति" का रूप दिया है |
मुख्य शब्द : भूमंडलीकरण | कोविड काल | कूटनीति | बहुपक्षीय | आत्मनिर्भर | समावेशी विकास | भारत
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय NAM शिखर सम्मेलन में भाग लिया | फोटो: एएनआई

1990 के दशक में भूमंडलीकरण ने ‘अधिक से अधिक लाभ और न्यूनतम खर्चे’ में उत्पादन के आर्थिक सिद्धांत को केंद्र में रखकर वैश्विक राजनीति में अपनी जगह बनाई. पश्चिम के अधिकतर विकसित देशों और बाद में उत्तर औपनिवेशिक काल में स्वतंत्र हुए राष्ट्रों ने भी बहुत हद तक इनका अनुसरण किया. ब्रेटेन वुड्स (Bretton Woods System) के आधार पर इस आर्थिक सिद्धांत को आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं ने आगे बढ़ाया.  

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भूमंडलीकरण के अंतर-निर्भरता के सिद्धांत को ‘नव राष्ट्रवादी मूल्यों’ पर आधारित देशों के “संरक्षणवादी आर्थिक मॉडल” ने चुनौती दी और वैश्विक राजनीति उत्तर भूमंडलीकरण के दौर में नए संकट का सामना करने लगी. जोसफ स्टीलगिटज (2002) जैसे विद्वानों ने अपनी पुस्तक “Globalization and Its Discontents” में इसे प्रमुखता से बताया है. 

 इसके कुछ प्रमुख प्रभाव भी हमें देखने को मिले. चीन की बढ़ती आक्रामकता ने अमेरिका-चीन संबंधों में गिरावट लाई और और विश्व की प्रमुख संस्थाएं जैसे कि संयुक्त राष्ट्र (UN) और डब्ल्यूएचओ (WHO) 21वीं सदी के शीत युद्ध कालीन राजनीति का अखाड़ा बन गए. ऐसे समय में जब दुनिया इस सभी बदलावों को देख रही थी, ‘कोरोना संकट’ ने वैश्विक व्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी और दुनिया के सामने एक नई महामारी को जन्म दिया.  

कोरोना संकट और भारत-

समस्या के बीज चीन के ‘अनुचित अनुसंधान प्रयोग’ और ‘कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था’ में निहित है और इसका ख़ामियाज़ा संपूर्ण मानव जाति को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे समय में जब सभी प्रमुख देश अपनी जिम्मेदारियों से हटकर पीछे जाने लगे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक ‘जिम्मेदार राष्ट्र’ के रूप में प्रभावी किया है और इस संकट के समय में ज़रूरतमंद देशों को चिकित्सा और खाद्य आपूर्ति के माध्यम से मानवीय मदद की है. 

 गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) देशों को दिए गए अपने संबोधन में मोदी जी ने कहा की “उत्तर-कोविड दुनिया में, हमें चाहिए वैश्वीकरण का एक नया खाका, जिसके आधार में निष्पक्षता, समानता और मानवता हो ताकि समावेशी विकास की अवधारणा सही हो सके”. इसने हमारी सभ्यता के “वसुधैव कुटुंबकम” के विचार को कूटनीति में प्रतिलक्षित किया है, जो भारत की उत्तर-कोविड काल में प्रमुख भूमिका को दर्शाता है. भारत का आत्मनिर्भर मॉडल समावेशी और समुचित विकास को बढ़ावा देता है.

संपूर्ण मानव जाति को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे समय में जब सभी प्रमुख देश अपनी जिम्मेदारियों से हटकर पीछे जाने लगे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक ‘जिम्मेदार राष्ट्र’ के रूप में प्रभावी किया |

 प्रधानमंत्री मोदी ने कई द्विपक्षीय वार्ताएं भी आयोजित की और दूसरे देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, रूस, इज़राइल, जापान, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, सिंगापुर और अन्य आसियान राज्य, ब्रिटेन, इथियोपिया और अन्य अफ्रीकी देश, दक्षिण एशियाई व खाड़ी देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेताओं के साथ बैठकें की जिसमे दुनिया को एक वैश्विक सहयोग और शांति के प्रति अग्रेषित किया. 

लोक कल्याण और सहयोग की कूटनीति-

 नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने “दूरदर्शी और लोक कल्याण का भाव” प्रदर्शित करने वाली कूटनीति का परिचय दिया. इस समय में जब दुनिया दोराहे पर खड़ी है, भारत व दुनिया के अन्य देश शक्ति के नए केंद्र हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग को नए मानकों तक ले जाने लिए बहुपक्षीय सहयोग की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं.

 प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने 60 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां, टेस्टिंग किट और जरूरी मेडिकल सामान मुहैया कराए. दक्षिण एशिया के देशों, जिनमे  ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हैं, को जरूरी मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई गई. इथियोपिया, घाना सहित छह अफ्रीकी देशों को भी दवाइयाँ मुहैया कराई गई. इसकी भूरी भूरी प्रशंसा अफ़्रीका, लैटिन अमेरिका, दक्षिण एशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, डब्ल्यूएचओ व दुनिया की प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने की. 

भारत व दुनिया के अन्य देश शक्ति के नए केंद्र हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग को नए मानकों तक ले जाने लिए बहुपक्षीय सहयोग की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं |

आश्चर्य करने वाली बात है की संकट के बीच संचार और आवागमन के सभी साधन बंद है तब भी भारत सरकार ने मानव कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित की है. भारतीय नौसेना ने भी इसमें अपना अभूतपूर्व सहयोग दिया है आई एन एस केसरीहास (Kesarihas) पानी जहाज़ के माध्यम से मालदीव, मॉरीशस, सेशल्स जैसे छोटे भारतीय तटीय सीमा पर स्थित देशों को जरूरी सहयोग दिया गया. खाड़ी के देशों में प्रमुख रूप से कुवैत को मेडिकल सहायता के साथ-साथ कोरोना संकट से निपटने के लिए वहां की स्वास्थ्य कर्मियों को जरूरी ट्रेनिंग भी दी गई. 

मोदी सरकार की कूटनीति ने भारत की “सॉफ्ट पावर” को देश की संस्कृति, इतिहास, संस्थानों और मूल्यों की अपील, के आधार पर एक “आधुनिक कूटनीति” का रूप दिया है जो कोविड संकट के दौर में क़ाबिले तारीफ है |

 मोदी सरकार के ‘वन्दे भारत मिशन’ की सफलता भारत सरकार और दूर देशों में संकट में फसें भारतीय नागरिकों के बीच एक नए विश्वास को जन्म देगी जिससे हमारा लोकतंत्र और मज़बूत होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की आपसी संबंधों में आर्थिक कल्याण के साथ साथ मानव कल्याण को बढ़ावा देना पर भी बल दिया है .

विकास के इस नए मॉडल के लिए भारत ने पहले भी विश्वसनीयता स्थापित की है, इसकी पहल भारत ने की जब अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, और अंतर्राष्ट्रीय आपदा के लिए गठबंधन की संरचना में भारत ने प्रमुख भूमिका निभयी थी.  इस प्रयास में मोदी सरकार की कूटनीति ने भारत की “सॉफ्ट पावर” को देश की संस्कृति, इतिहास, संस्थानों और मूल्यों की अपील, के आधार पर एक “आधुनिक कूटनीति” का रूप दिया है जो कोविड संकट के दौर में क़ाबिले तारीफ है. संभव है, उत्तर-कोविड काल में ये सभी ‘कूटनीतिक प्रयास’ वैश्विक राजनिति में भारत की सकारात्मक भूमिका को अवश्य मज़बूत करेंगे. 

2 comments

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  • सटीक विश्लेशण! कोविड-काल की कूटनीति को कम शब्दों में संजोने जैसे कठिन कार्य को आपने सहजता से किया है। आपकी कलम को कृपया विश्राम न दें!

Abhishek Pratap Singh

Abhishek Pratap Singh holds PhD in China Studies from Jawaharlal Nehru University and teaches at Deshbandhu College, University of Delhi

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